जेएनयू हिंसा पर घिरी दिल्ली पुलिस, कांग्रेस ने उठाए जांच की निष्पक्षता पर सवाल

 जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को भले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करके 9 लोगों को नामजद किया हो, पर अब उसकी जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। पुलिस ने जिन 9 लोगों का नाम लिया, उनमे जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष का भी नाम भी शामिल है। आइशी ने पुलिस जांच पर सवाल उठाए-हम पर हमला हुआ और हमें ही जांच का सामना करना पड़ रहा है। 


आइशी ने कहा मैंने किसी पर कोई हमला नहीं किया। उन्होंने कहा कि मुझे अपने देश की कानून व्यवस्था पर भरोसा है। उम्मीद है कि बिना किसी पक्षपात के जांच की जाएगी। मुझे न्याय मिलेगा, लेकिन दिल्ली पुलिस पूर्वाग्रह से ग्रस्त क्यों है? मेरी शिकायत एफआईआर के तौर पर दर्ज क्यों नहीं की गई। आइशी ने अपना नाम आने को लेकर सफाई देते हुए कहा मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। हमें दिल्ली पुलिस का कोई डर नहीं है। हम कानून के साथ खड़े हैं और अपने मूवमेंट को शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक ढंग से आगे बढ़ा रहे हैं। आइशी ने पुलिस की जांच को चुनौती देते हुए कहा कि हमारे पास सबूत है कि कैसे हम पर अटैक किया गया। 


पांच जनवरी को जेएनयू में हुई हिंसा में आइशी घोष भी घायल हो गई थीं। आइशी के अलावा विपक्षी दल कांग्रेस ने भी दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने कहा कि शुरुआती जांच अधूरी लगती है और ऐसा लगता है कि इसमें किसी का दखल था। कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। 
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कहा जांच में दिल्ली पुलिस पर सवाल उठते हैं। वह निष्पक्ष नहीं है और यहां तक कि इस पूरी हिंसा में उसकी भूमिका भी संदिग्ध रही है। अजय माकन ने कहा, पुलिस की जांच में पूर्वाग्रह है। इसके अलावा पूरे मामले में उसकी संलिप्तता भी दिखती है। अब तक एक भी नकाबपोश को पुलिस नहीं खोज पाई है। पुलिस ने 9 लोगों के नाम दिए हैं, लेकिन असली हिंसा जो बाहर के लोगों ने आकर किया, उसके बारे में कोई जवाब नहीं दिया। 


माकन ने 5 जनवरी को जेएनयू परिसर में हिंसा का उल्लेख करते हुए कहा, दिल्ली पुलिस ने उस दिन 3.30 बजे की घटना का उल्लेख करके नौ नाम निकाले। लेकिन शाम से रात तक जिन लोगों ने वहां हिंसा की उनके बारे में कुछ नहीं कहा। तस्वीर में दिल्ली पुलिस जिस एक युवक को विकास पटेल बता रही है, हकीकत में उसका नाम शिव मंडल है। इससे पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। 


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